राम मंदिर मामले में पुर्नविचार याचिका पर कोर्ट की पड़ सकती है फटकार, जनता भी मांगेगी यह जवाब!

अयोध्या राम मंदिर मामले में कुछ नेतओं ने अपनी नष्ट होती नेतागिरी को बचाने के मकसद से कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर करने का मन बनाया है। पूरे मामले में आये एतिहासिक निर्णय के बाद मुद्दई सुस्त पड़ गये है और तथाकथित पैरोकार चुस्त होने की तैयारी में है। पुर्नविचार याचिका पर कोर्ट की फटकार पड़ सकती है और जनता भी अयोध्या में नवाज कब पड़ी थी?, अयोध्या आकर नवाज पड़ोगे! किस पूर्वज ने राममंदिर पर मस्जिद बनाई थी? जब अयोध्या नगरी में अमन चैन है तो बिगाड़ने की मंशा जैसे तमााम जवाब मंगेगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बैठक पर बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं यहीं का संविधान मानते हैं। फैसला आ गया है फैसले को हमने मान भी लिया। अब हम आगे नहीं जाना चाहते। 
इकबाल ने कहा, हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए। जितना मेरा मकसद था उतना मैंने किया। घर अल्लाह का है और अल्लाह मालिक है। कोर्ट ने जो फैसला कर दिया उसे मान लो। अयोध्या समेत पूरे देश में शांति का माहौल बना रहे,  देश तरक्की करें। हम पक्षकार थे और अब हम रिव्यू दाखिल करने आगे नहीं जाएंगे। पक्षकार ज्यादा हैं। कोई क्या कर रहा है यह मुझे नहीं मालूम, लेकिन हम अब रिव्यू दाखिल नहीं करेंगे। 
राम जन्म भूमि के पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा, हमारे अयोध्या के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने रिव्यू दाखिल करने से साफ इंकार किया है। पुनर्विचार करने की याचिका दाखिल करने का कोई भी औचित्य नहीं है। जफरयाब जिलानी की दुकान बंद हो गई हैे इसको वह फिर चलाना चाहेंगे। जिन लोगों को इस मामले के निस्तारण से हानि हो रही है वह प्रयास कर रहे हैं। सामान्य मुसलमान भाई इस फैसले से खुश हैं। इनके चाहने से कुछ नहीं होगा जो आदेश हो चुका है वही आदेश होगा। 
कुछ मुस्लिम नेताओं का कहना है कि हालांकि देश की सबसे ऊंची अदालत ये माना कि मस्जिद को गिराया जाना आपराधिक था, कोर्ट ने 1949 में मस्जिद में मूर्ति रखे जाने को गलत बताया, उसने ये भी कहा कि भक्ति के आधार पर जमीन का मालिकाना हक तय नहीं हो सकता लेकिन फिर भी कोर्ट ने जमीन हिंदुओं को सौंप दी है। बाबरी पक्ष मस्जिद के बदले दूसरी जगह जमीन दिए जाने पर भी सवाल उठा रहा है और हैदराबाद के मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तो इसे बिन मांगा खैरात करार दिया है। हालांकि मुस्लिम बिरादरी में बोर्ड के फैसले और मस्जिद के बदले दूसरी जगह जमीन लेने या लेने को लेकर राय बँटी हुई है। पुर्नविचार याचिका पर कोर्ट बाबर की जमीन हाने के दस्तावेज, उसी जमीन पर ऐसा क्या करोगे जो दूसरी जगह मस्जिद में नहीं हो सकता है! सौहार्द व प्रेम बनाये रखने में आपका एतराज क्या है एसे एक दर्जन प्रश्न कर फटकार लगाते हुए यहां नेतागिरी न करने की हिदायत भी दे सकता है।



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